हेरिटेज हॉस्पिटल में छत्तीसगढ़ में पहली बार अत्याधुनिक ऑक्सीनियम इम्प्लांट्स से जोड़ प्रत्यारोपण
हेरिटेज हॉस्पिटल, रायपुर में राज्य में पहली बार ऑक्सीनियम इम्प्लांट लगाकर घुटना और कुल्हा प्रत्यारोपण डॉ अंशु शेखर द्वारा किया गया है। कूल्हे का प्रत्यआरोपण एक ३२ वर्षीय पुरुष, श्री नवीन श्रीवास में किया गया जिनका जोड़ एक्सीडेंट में चोट लगने की वजह से खराब हो गया था। ऑपरेशन की बाद अब उन्हें दर्द से पूरी राहत मिल गयी है। घुटने का प्रत्यारोपण एक ६४ वर्षीय महिला डॉक्टर में किया गया जिन्हे दर्द की वजह से अपने मरीज़ देखने और ऑपरेशन करने में दिक्कत होती थी। वे भी अब दर्द से मुक्त हैं और अपने सभी कार्य कुशलता से कर रही हैं। इन दोनों मरीज़ों में जटिलताएं थी इनकी कम आयु और जोड़ प्रत्यारोपण के बाद ज़्यादा गतिविधि की आवश्यकता। अत्याधुनिक तकनीक वाले ऑक्सीनियम इम्प्लांट से इन दोनों मरीज़ों को फ़ायदा मिला।
हेरिटेज हॉस्पिटल के जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन, डॉ अंशु शेखर के अनुसार आम तौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले इम्प्लांट्स के मुकाबले ऑक्सीनियम इम्प्लांट्स के कई फायदे हैं। प्रयोगशाला के अध्ययन में यह पाया गया है की ऑक्सीनियम का घिसाव बहुत धीरे होता है। परिणाम स्वरुप प्रत्यारोपण के पश्चात सामान्य इम्प्लांट्स जहां १५-२० साल में घिस जाते हैं, वहीँ ऑक्सीनियम लगभग ३५ वर्षों तक टिक सकता है। इसके अलावा सामान्य कोबाल्ट-क्रोमियम इम्प्लांट्स के मुकाबले, ऑक्सीनियम ज़्यादा बायोकम्पैटिबल है, अर्थात इससे शरीर में रिएक्शन की सम्भावना बहुत कम है। यह तकनीक अमेरिका में पिछले दस वर्षों से इस्तेमाल की जा रही है और इसके क्लीनिकल परिणाम बहुत अच्छे है।
डॉ अंशु शेखर का कहना है कि बढ़ते मोटापे और सुस्त जीवनशैली की वजह से अब गठिया रोग कम उम्र के लोगों को ग्रसित कर रहा है। इसके अतिरिक्त ऑपरेशन के पश्चात मरीज़ों कि अपेक्षा भी बढ़ गयी है। ऑक्सीनियम इम्प्लांट में घिसाव बहुत कम होने कि वजह से इसे कम उम्र के मरीज़ों में लगाया जा सकता है। घुटना प्रत्यारोपण के लिए जहां सामान्य कोबाल्ट-क्रोमियम इम्प्लांट्स का उपयोग ६५ वर्ष से कम उम्र के मरीज़ों में परिसीमित है, वहीँ ऑक्सीनियम के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं है। हमारे राज्य में सिकलिंग एक आम बीमारी है और इसमें कम आयु में ही कूल्हे खराब हो जाते है। ऐसे तरुण मरीज़ों का कुल्हा प्रत्यारोपण भी ऑक्सीनियम इम्प्लांट द्वारा बहुत सफलता से किया जा सकता है।
जो मरीज़ घुटना या कुल्हा प्रत्यारोपण के पश्चात साइकिलिंग, जॉगिंग या जिम में व्यायाम करना चाहते हों, उनके लिए भी ये एक उत्तम विकल्प है। घिसाव कि दर कम एवं ज़्यादा ठोस होने कि वजह से ऑक्सीनियम इम्प्लांट ऑपरेशन के बाद शारीरिक सक्रियता में प्रतिबन्ध की आवश्यकता नहीं होती है। इसके आलावा जिन मरीज़ों को मेटल एलर्जी हो (जैसे कृत्रिम आभूषणों से), उनमे भी ऑक्सीनियम इम्प्लांट का उपयोग किया जा सकता है क्योंकि इसमें निकेल नहीं होता। हेरिटेज हॉस्पिटल में इस सुविधा और तकनीक के उपलब्ध होने के पश्चात अब ऐसे मरीज़ जिन्हे कम उम्र में या ज़्यादा टिकाऊ जोड़ प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो, उन्हें लाभ मिलेग। ये छत्तीसगढ़ राज्य के विकासशील स्वास्थ सेवा का एक उत्तीर्ण उदाहरण है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें हेरिटेज हॉस्पिटल, कचना, रायपुर (8717870920)